Sunday, February 24, 2013

रात से गिला क्या है....

रात से गिला क्या है

सुबह ने दिया क्या है


कैद अब हुआ लम्हा

इश्क के सिवा क्या है


दर्द पी लिया शायद

आँख ने कहा क्या है


उम्र ढल रही पलछिन

हाथ से गिरा क्या है


दोस्त न बना कोई

जीस्त का सिला क्या है


हाथ  भर जरा कोशिश

और मशविरा क्या है


सौंप जब दिया खुद को

हाथ फैसला क्या है


धूप में जले पानी

सिलसिला नया क्या है


गुमशुदा ख़ुशी क्यूँकर

पूछ माजरा क्या है


नब्ज है थमी कब से

अस्ल हादसा क्या है




Tuesday, February 12, 2013

वसंत की अगवानी में


ओस अमृत का 
आभार प्रकट करने 
चली आई
 नवांकुरों की सेना

सुगंध के 
सौदागर 
बतियाते हैं 
चंपा गुलाब
बेला चमेली से
कि अब तो कैक्टस भी 
अपने व्यक्तित्व के 
विशेषणों से 
उकताया हुआ है
 इसीलिये
 छोटे छोटे फूल लिए 
वह भी खड़ा है
 किसी सम्राट की अगवानी में 
 और बूढ़े पत्ते भेज  रहें हैं
आगे नवोदित अनुजों को
 लाल धारियों वाली पोशाक में सजे
 ये नन्हें 
गर्व मिश्रित लुनाई लिए
 हर किसी से पूछते हैं 
मैं अच्छा लग रहा हूँ ना !!
वहीँ कुछ बीज
 लड़ रहें हैं
 अँधेरे की
 सत्ता से
कि प्रकाशनुवर्ती हूँ मैं
 और प्रकाश को
 मेरे जीवन में 
आना ही होगा
बेशक तेरी सत्ता से
 नाराज नहीं हूँ मैं 
क्योंकि
 तेरी ही गोद मे
 जन्मा है संघर्ष मेरा 
और यहीं पायी है 
ऊर्जा अदम्य साहस
प्रकाश के आँचल में
 प्रतीक्षारत
 अनंत संघर्षों से
 लड़ने के लिए
इसीलिये 
तेरे साथ रहेंगी मेरी जड़े 
जीवनपर्यंत
 जैसे रहती हैं दिल की धड़कन
 जिंदगी के साथ
प्रकाश को पाने की 
व्याकुलता लिए

Monday, February 4, 2013

तपस्विनी तू



सांय सांय गूंजेगी

आंगन में तेरी प्रार्थनाएं

तेरे मन्त्र

बाँधा था कवच

कीला था काल

अनगिनत

अदृश्य ताबीजों में

तेरे आशीष

तेरी दुआओं से

सराबोर

मेरी रूह

तुझे बुलाना चाहती है

मनीप्लांट चुपचाप 

लिए बैठा है मंजीरे


तुलसी

तेरी मौन तपस्या में

स्वर मिलाना चाहती है

कहाँ सो रही है

चिरनिद्रा में लीन 

सनातन

शाश्वत 

तपस्विनी तू   

( श्रद्धा सुमन नानी के लिए )

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